कृषि विज्ञान केन्द्र के बेजवाँ गाँव में विश्व मृदा दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि मान्नीय सांसद श्री वीरेन्द्र सिंह ने भदोही जनपद के किसानों को मृदा के गिरते स्वास्थ्य के बारे में चिंता जताई। सांसद महोदय ने मिट्टी की सजीवता को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए किसानों को केचुएं से बनी खाद (वर्मी कम्पोस्ट), नाडेप कम्पोस्ट के प्रयोग को बढ़ावा देने की बात कही साथ ही मृदा में कार्बन के गिरते स्तर को गोमूत्र से निर्मित जैव पदार्थों का प्रयोग करने की सलाह दी। इसके अतिरिक्त फलों के उत्पादन विशेष रूप से लंगड़ा आम की फल पट्टी को विकसित करने की सलाह दी। दलहन एवं तिलहन की जनपद में असीम संभावनाएं व्याप्त हैं किसान भाई उच्च उत्पादन तकनीकि के द्वारा जनपद की उत्पादकता को उच्च स्तर तक ले जा सकते है। पशुधन विकास हेतु सघन डेयरी योजना से जुड़कर किसानों को लाभ लेने के लिए प्रेरित किया। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी के निदेशक महोदय डाॅ विजेन्द्र सिंह ने मृदा में उपलब्ध पोषक तत्वों को अधिकाधिक रूप में प्रयोग में लेने की बात कही। कुल 17 पोषक तत्वों की पौधों की बढ़वार में आवश्यकता होती है जिसको सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे जिंक, बोरान, आयरन आदि के प्रयोग द्वारा दूर किया जा सकता है। जैविक संवर्द्धन के प्रयोग द्वारा मिट्टी की सजीवता को टिकाऊ बनाया जा सकता है। सभी किसान भाईयों को मृदा परीक्षण के आधार पर संतुलित उर्वरकों का फसल विशेष के आधार पर प्रयोग करना चाहिए। डा0 ए0 के चतुर्वेदी ने मृदा परीक्षण के प्रस्तुतिकरण में बताया कि जनपद के 39 ग्राम सभा के सिंचित भूमि 2.5 हे0 एवं असिंचित भूमि में 10 हे0 के ग्रिड में कुल 42 ग्रिड का चयन करके 250 कृषकों के मृदा नमूनें एकत्रित किये गये। इन नमूनों का केन्द्र द्वारा परीक्षण कराया गया तथा सांसद महोदय द्वारा किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया गया। जनपद में मृदा मे उपलब्ध जीवांश की मात्रा अति न्यून से मध्यम तथा पी0एच0 सामान्य से क्षारीय के बीच पाया गया। साथ ही उपलब्ध नत्रजन अति न्यून से न्यून जबकि उपलब्ध फास्फोरस की मात्रा उच्च स्तर पर पाई गई। जबकि सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता कम स्तर पर आंकी गई। इस अवसर पर डा0 आर0 पी0 चैधरी ने मृदा स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए बिन्दुवार तकनिकियों पर सविस्तार बताया। केन्द्र के डा0 राकेश पाण्डेय ने मंच का संचालन एवं डा0 ए0 के सिंह, डा0 रेखा सिंह, वी0 वी0 दीप्तिकार, डा0 प्रभाष चन्द्र सिंह तथा धनंजय सिंह ने कार्यक्रम के संचालन मे तकनीकि सहयोग दिया।